INTRODUCTION, AIMS & MISSION
WHRDO (WORLD HEALTH RESEARCH & DEVELOPMENT ORGANISATION) Vishva Swasthya Shodh Evam Vikaas Sansthan is an Organization registered under the Government of India, which has been informally engaged in various social and religious and humanitarian activities in the field of alternative medicine since 2013 in various parts of the country and abroad. It was founded by a group of various eminent doctors who have been working in the field of alternative medicine, all of whom had the sole purpose of providing Alternative Medicine Services instead of basic allopathic medical aid and services in every region of the world. Just as the main objective of WHO (World Health Organization) who wants to serve the basic allopathic medical aid and services in every continent of the world, In the same way WHRDO (World Health Research and Development Organization) also Wants to Serve The Alternative medicine systems in every continent of the world, every nation, every city, village-dhani, especially Indian ancient, Natural, Non invasive and safe medical systems like Ayurveda, Yoga, Prana Medicine, Naturopathy, Panchagavya
Medicine, yagya and mantra therapy etc. and ensure the availability of various such medical systems that have arisen from time to time in every region of the world, which does not give any adverse effect on the body i.e. side effect or bed effect like Allopathy, but Provides complete health without giving rise to any new problems. These include homeopathy, acupressure,
Acupuncture, physiotherapy, batch flower therapy, hypnotism therapy, etc. including different types of natural and safe healing methods. And in this sequence of objectives it is also to ensure to spread the education to every common person like what are the human body and diseases and how can it be cured by its simple home remedies and Herbs, Through many certificates, diplomas and medical diploma courses in various alternative medicine systems offered by WHRDO.
Which includes teaching material for many courses, in which there is a provision of books (hard or/ and soft copies) and video or/ and online live lecturers, medical apparatus for practical use etc. After completing all the courses, any person who wants to practice or using these alternative medicine as a Profession for the purpose of social welfare, public interest and personal use, is free to do so to provide direction to the mentally, physically, emotionally unhappy, suffering and afflicted human beings while encouraging them to have Alternative medicine instead of Modern Allopathy Medicine.
And besides this, in the order of objectives, there is a goal to promote Indian breed cowsheds all over the world,
And lightening the error on the exploitation of limited natural resources, arising out of human hyper-ambitious anomaly by considering and representing the availability of other better natural and unlimited options for it like Solar, Hydro, Wind, Stone Etc. and making plans and implementing them by taking the cooperation of Government/ Organizations/ Institutions from different nations.
And assisting the Alternative medical clinics & hospitals by various planned ways financially, managerially or otherwise in case of any inconvenience in their running or operating.
To organize various health awareness programs. Involving various cooperatives, religious and social and charitable organizations for the fulfillment of common objectives.
To establish Vaidik Scientific Educational Institutions to promote and spread value-oriented and holistic developmental education systems for human beings Etc.
It is very important to understand one thing here that Alternative medicine practices do not treat only physical health like modern allopathy, rather every alternative medicine system includes the totality (four dimensional) of health i.e. physical, mental, spiritual and natural i.e. by nature. Because just as if a man is unwell in body, mind or spiritually, then it affects his behavior so that knowingly unknowingly human pollutes nature rightly so, In the same way if nature is polluted, then its effect also decides on the human body, mind, behavior and soul, whose effect we are facing today in the form of various anomalies and irrelevances like global warming, differences of opinion, excessive consumptionism, national differences and global war etc. I am watching, hearing and experiencing, and just as human beings have exploited the earth today due to their very ambitious nature and made it hollow and due to their never fulfilling ambitions have planned to travel to other planets of this nature in this way, So we are never going to achieve the ultimate goal of human satisfaction. That's why development of all these four-dimensional types of health and alternative medicine
Promotion will prove to be a very important effort. Whose benefit will be received by our coming generations, and we humans will always be able to flourish with our different traditions, religions, castes, civilizations etc., and our earth will remain safe and healthy.
For which I graciously and request all mankind to unite and support us in this humanitarian campaign of promoting various alternative medicine services of World Health Research and Development organization and to preserve, nurture, protect and develop the Mother Nature.
WHRDO अर्थात विश्व स्वास्थ्य शोध एवं विकास संस्थान भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड संस्थान है जो कि अनौपचारिक रूप से 2013 से वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में
विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक व मानवीय गतिविधियां देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित करता आ रहा है। इसकी स्थापना वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न
सुप्रसिद्ध चिकित्सकों के समूह ने मिलकर के की थी। जिन सभी के एकमात्र उद्देश्य हैं। जिस प्रकार WHO अर्थात विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्य उद्देश्य संसार के प्रत्येक क्षेत्र
में मूलभूत एलोपैथिक चिकित्सा सहायता एवं सेवाओं की उपलब्धता करवाना है उसी प्रकार WHRDO अर्थात विश्व स्वास्थ्य शोध एवं विकास संस्थान का मुख्य उद्देश्य संसार
के प्रत्येक महाद्वीप, प्रत्येक राष्ट्र, प्रत्येक शहर, गांव-ढाणियों में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों विशेषकर भारतीय प्राचीन, नैसर्गिक-प्राकृतिक व निरापद चिकित्सा पद्धतियों जैसे
आयुर्वेद, योग, प्राण चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, पंचगव्य चिकित्सा, यज्ञ एवं मंत्र चिकित्सा आदि तथा विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में समय-समय पर उत्पन्न हुई विभिन्न ऐसी चिकित्सा
पद्धतियों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है जो कि एलोपैथी की तरह शरीर पर किसी प्रकार का साइड इफेक्ट अथवा बेड इफेक्ट नहीं देती बल्कि बिना किसी नई समस्याओं
को जन्म दिये संपूर्ण स्वास्थ्य उपलब्ध करवाती है। इन के अंतर्गत होम्योपैथी, एक्यूप्रेशर, एक्यूपंक्चर, फिजियोथैरेपी, बैच फ्लावर थेरेपी, हिप्नोटिज्म चिकित्सा आदि विभिन्न
प्रकार की चिकित्सा की भी पद्धतियां सम्मिलित है। और उद्देश्यों के इसी क्रम में मानव शरीर तथा रोग क्या हैं तथा इसकी सहज घरेलू चिकित्सा एवं उपाय क्या-क्या हो सकते
हैं इसकी शिक्षा का प्रचार प्रसार प्रत्येक सामान्य व्यक्ति तक सुनिश्चित कराना भी है। जिसके लिए विभिन्न वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में कई प्रमाण पत्र, डिप्लोमा व
चिकित्सकीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी विश्व स्वास्थ्य शोध एवं विकास संस्थान द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं जिसके कई पाठ्यक्रमों की पढ़ने पढ़ाने की शिक्षण सामग्री भी जिसमें
पुस्तकें (हार्ड अथवा सॉफ्टकॉपीज़) तथा वीडियो एवं ऑनलाइन लाइव लेक्चरर्स आदि का भी प्रावधान उपलब्धता होता है, सम्मिलित है। तथा संपूर्ण विश्व में भारतीय नस्ल की
गौशालाएं निर्मित करना। मानवीय अति महत्वकांक्षी विसंगति से उत्पन्न, सीमित प्राकृतिक संसाधनों के दोहन क रोकते हुए उसके लिए अन्य विकल्प उपलब्धता पर विचार
करवाना एवं योजनाएं बनाते हुए विभिन्न राष्ट्रों का सहयोग लेते हुए उन्हें क्रियान्वित करना। पूर्व में संचालित किसी भी प्रकार के वैकल्पिक चिकित्सालयों की आर्थिक अथवा
विभिन्न योजनाबद्ध तरीकों से सहायता करना। मानसिक रूप से दुखी, पीड़ित एवं त्रस्त मनुष्यों का उत्साहवर्धन करते हुए उसके जीवन की दिशा प्रदान करना। विभिन्न
सहकारी संस्थाओं, धार्मिक एवं सामाजिक तथा परोपकारी संगठनों को सम्मिलित करते हुए एक समान स्वउद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता कार्यक्रम
आयोजित करना। मूल्य परक एवं मानव का संपूर्ण विकास करने वाली शिक्षा पद्धतियों का प्रचार एवं प्रसार करने के लिए वैदिक वैज्ञानिक शिक्षण संस्थान स्थापित करना।
आदि। समस्त पाठ्यक्रमों को पूर्ण करने के पश्चात कोई भी व्यक्ति जो समाज कल्याण के उद्देश्य से, जनहितार्थ एवं व्यक्तिगत उपयोगार्थ इन वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों
का उपयोग चिकित्सा कार्य के रूप में करना चाहता है वह इसके लिए स्वतंत्र होता है।यहां एक बात समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि वैकल्पिकचिकित्सा पद्धतियां आधुनिक
एलोपैथिक की तरह केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही महत्व नहीं देती बल्कि प्रत्येक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में स्वास्थ्य की संपूर्णता अर्थात शारीरिक, मानसिक, आत्मिक
तथा प्राकृतिक अर्थात प्रकृति का स्वास्थ्य भी सम्मिलित होता है क्योंकि जिस प्रकार यदि कोई मनुष्य शरीर से मन से या आत्मिक रूप से अस्वस्थ होता है तो उसका प्रभाव
उसके व्यवहार पर पड़ता है जिससे वह जाने अनजाने प्रकृति को प्रदूषित करता है, ठीक उसी प्रकार यदि प्रकृति प्रदूषित है तो उसका प्रभाव भी मानव के शरीर, मन, व्यवहार
और आत्मा पर निश्चय कर पड़ता है जिसका प्रभाव हम आज ग्लोबल वॉर्मिंग, अति उपभोग वाद, राष्ट्रीय मतभेद एवं वैश्विक युद्ध आदि विभिन्न विसंगतियों एवं अप्रासंगिकताओं
के रूप में देख सुन और अनुभव कर रहे हैं। और जिस प्रकार मानव ने आज पृथ्वी का दोहन कर करके उसे खोखला बना दिया है और अपनी कभी न पूरी होने वाली
महत्वाकांक्षाओं के चलते इस प्रकृति के अन्य ग्रहों की ओर कूच करने की योजना बना ली है इस तरह से तो कभी भी हमें मानव संतुष्टि का परम लक्ष्य कभी प्राप्त ही नहीं होगा।
इसी कारण से वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का संवर्धन एवं विकास इन समस्त प्रकार के स्वास्थ्य अर्थात चतुर्आयामी स्वास्थ्य संवर्धन की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास
सिद्ध होगा। जिसका लाभ हमारी आने वाली जनरेशन, पीढ़ियों को प्राप्त होगा और हम मानव सदैव अपनी विभिन्न परंपराओं, धर्मों, जातियों, सभ्यताओं आदि वैभिन्नताओं के
साथ सदा के लिए फलते फूलते रहेंगे और हमारी पृथ्वी सुरक्षित व स्वस्थ बनी रहेगी। जिसके लिए मेरा समस्त मानव जाति से अनुग्रह एवं निवेदन है कि वह विश्व स्वास्थ्य शोध
एवं विकास संस्थान की इस विभिन्न वैकल्पिक चिकित्सा सेवाओं के प्रचार-प्रसार की एवं प्रकृति कोसंरक्षित, सुरक्षित और विकसित करने की इस मानवीय मुहिम में एकजुट
होकर हमारा साथ दें।
Thanks & Regards
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार
President
अध्यक्ष